मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा पता रह जाएगा

मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा पता रह जाएगा शाख़ पे यदि एक भी पत्ता हरा रह जाएगा   अपने गीतों को सियासत की ज़ुबां से दूर रख पँखुरी के वक्ष में काँटा गड़ा रह जाएगा   बो रहा हूँ बीज कुछ सम्वेदनाओं के यहाँ ख़ुश्बुओं का इक अनोखा सिलसिला रह जाएगा   मैं भी … Continue reading मैं रहूँ या न रहूँ, मेरा पता रह जाएगा